Shoulder Soothe: Yoga Poses To Relieve Stiffness And Discomfort

Shoulder Soothe Yoga Poses To Relieve Stiffness And Discomfort

स्तंभित कंधों की तकलीफ को कम करने के लिए कुछ योगासनों का प्रयास कर सकते हैं। योग प्रशिक्षक या स्वास्थ्य पेशेवर के साथ पहले बातचीत करना हमेशा अच्छा होता है, खासकर यदि आपमें कोई विशेष स्वास्थ्य समस्याएं हैं। निम्नलिखित कुछ योगासन आपको स्तंभित कंधों की तकलीफ से राहत प्रदान कर सकते हैं:


गरुड़ आसन (Garudasana - Eagle Pose):
  • इस आसन में आपको दोनों पैरों को एक साथ जोड़ना होता है और हथेलियों को भी एक साथ जोड़ना होता है।
  • इसके बाद, आपको धीरे-धीरे बैठते हुए शरीर को उच्च करना होता है।
  • इस आसन से कंधों की मांसपेशियों को बढ़ावा मिलता है और यह स्थिति को सुधार सकती है।

भुजंगासन (Bhujangasana - Cobra Pose):
  • आसन में लेटें और हथेलियां कंधों के समीप रखें।
  • श्वास को धीरे से बाहर निकालते हुए उपर उठें और ऊँची चाटी बनाएं।
  • इससे कंधों की स्थिति में सुधार हो सकता है।

बालासन (Balasana - Child's Pose):
  • इस आसन में आपको नीचे झुककर शीशा ज़मीन पर रखना होता है और हथेलियों को आगे फैलाना होता है।
  • यह धनुषासन के बाद कंधों को विश्राम देने का एक अच्छा तरीका है।

वीरभद्रासन (Virabhadrasana - Warrior Pose):
  • सीधे खड़े होकर एक पैर को आगे बढ़ाएं और दूसरे को पीछे बढ़ाएं।
  • इससे कंधों को स्ट्रेच करने में मदद हो सकती है और उन्हें सुधार सकता है।

ध्यान रखें कि हर योगासन को सही तरीके से करने के लिए आपको धीरे-धीरे और सावधानीपूर्वक काम करना चाहिए। अगर आपमें किसी प्रकार की चोट या स्थिति है, तो पहले अपने चिकित्सक से परामर्श करें।


गरुड़ आसन (Garudasana - Eagle Pose)

गरुड़ आसन (Garudasana) एक उत्तम योगासन है जो कंधों की स्थिति में सुधार करने में मदद कर सकता है। यह आसन हमें एक गरुड़ (गीड) के आकार की अनुकरणा करने की आवश्यकता होती है, जिससे हमारे कंधे, पैर और हाथों की मांसपेशियों को टोनिक बनाए रखा जा सकता है। यह आसन हमें धैर्य, संयम और समर्पण की भावना देने में भी मदद करता है।

कैसे करें:

1- शुरुआत में स्थिति: सीधे खड़े हों और होठों को आपस में मिला कर बैठें।
2- गरुड़ का आकार बनाएं:
  • दाएं पैर को बाएं पैर के आसपास लपेटें, जिससे जांघें एक दूसरे के ऊपर हों।
  • हथेलियों को समीप लेकर बैठें और दाएं हथेली को बाएं हथेली के साथ मिलाएं।
  • उच्च और नीचे शरीर को समर्पित रखें।
3-ध्यान रखें:
  • नाभि की दिशा में नजर रखें और सांसें धीरे-धीरे लें।
  • सीधे खड़े रहने का प्रयास करें और ध्यान को स्थिर रखें।

योगदान:
  • गरुड़ आसन से कंधों, हृदय क्षेत्र, और पैरों की मांसपेशियों को स्ट्रेच होता है, जिससे उन्हें मजबूती मिलती है।
  • यह आसन मानसिक स्थिति को भी सुधार सकता है और ध्यान को स्थिर रखने में मदद कर सकता है।
  • गरुड़ आसन को नियमित रूप से करने से पूरे शरीर की सुस्ती को कम किया जा सकता है और स्थिति में सुधार हो सकता है।

याद रहे कि योग आसनों को सही तरीके से करने के लिए धीरे-धीरे प्रयास करें और अगर आपमें किसी प्रकार की चोट या स्थिति है, तो पहले अपने योग गुरु या चिकित्सक से सलाह लें।


गरुड़ आसन (Garudasana) के चंगुल से निकलें:
  • संतुलितता और समर्पण: गरुड़ आसन न केवल शारीरिक स्थिति में सुधार करता है, बल्कि यह आत्मा को भी संतुलित और समर्पित बनाए रखने में मदद कर सकता है। जब हम गरुड़ की भावना से यह आसन करते हैं, तो हमारा ध्यान संकेतित और समर्पित रहता है।
  • कंधों का स्ट्रेच: यह आसन कंधों की स्थिति में लचीलापन लाने में मदद कर सकता है, जिससे दिनचर्या में या बैठकर काम करते समय होने वाली स्थिति में राहत मिल सकती है।
  • नया संवेदनशीलता और कुशलता: गरुड़ आसन आपकी शारीरिक और मानसिक कुशलता को बढ़ा सकता है और आपको नया संवेदनशीलता और सामरिकता प्रदान कर सकता है।
  • आंतरिक संतुलन: इस आसन को करने से आपका आंतरिक संतुलन बना रहता है, जिससे आप तंतुमुक्त और स्थिर रहते हैं।
  • प्रतिबद्धता और नियमितता: गरुड़ आसन को नियमित रूप से करने से आप अपनी आत्मा को एक प्रतिबद्ध और नियमित योगाभ्यास में लगा सकते हैं।

आपको ध्यान रखना चाहिए कि योग साधना को सीखने में समय लग सकता है और धीरज रखना हमेशा महत्वपूर्ण है। आपके शारीरिक स्थिति और स्वास्थ्य की सुरक्षा के लिए, योग शिक्षक या स्वास्थ्य पेशेवर से पहले परामर्श लेना हमेशा बेहतर है।


गरुड़ आसन (Garudasana) के और लाभ:
  • कंप्यूटर या ऑफिस में काम करने वालों के लिए उपयुक्त: यह आसन उन लोगों के लिए भी फायदेमंद है जो दिनभर कंप्यूटर या ऑफिस की कुर्सी पर बैठे रहते हैं। इससे कंधों, हाथों और पैरों की मांसपेशियों को बढ़ावा मिलता है और असीमित समय तक बैठे रहने की आदत से होने वाली स्थिति में राहत मिल सकती है।
  • स्ट्रेस और चिंता को कम करने में मदद: गरुड़ आसन शांति और स्थिरता की भावना देने में सहायक हो सकता है और तनाव और चिंता को कम करने में मदद कर सकता है। इसे ध्यानपूर्वक और नियमित योगाभ्यास में शामिल करने से मानसिक स्थिति में सुधार हो सकता है।
  • उत्तानपादासन (Uttanasana) के साथ संरेखित रूप से काम करने में सक्षम: गरुड़ आसन को उत्तानपादासन के साथ मिलाकर काम करने से पूरे शरीर की स्थिति में सुधार हो सकता है, खासकर पीठ, कंधे, और पैरों की मांसपेशियों में।
  • वायरल संक्रमण से बचाव: गरुड़ आसन को नियमित रूप से करने से नाक और गले के क्षेत्र में संचारित होने वाली रक्त संचरण को बढ़ावा मिलता है, जिससे वायरल संक्रमण से बचाव हो सकता है।

गरुड़ आसन को सीखने के लिए समर्पण और स्थिरता के साथ प्रयास करें, और यदि आपमें किसी भी स्वास्थ्य समस्या की उपस्थिति है, तो पहले अपने योग गुरु या चिकित्सक से परामर्श करें।


गरुड़ आसन का सटीक तरीका:
  • उच्च स्थान पर ह्रदय को बनाए रखें: आसन को सही तरीके से करने के लिए, ध्यान रखें कि आपका हृदय ऊपर उठा रहे और आपकी ऊँचाई में स्थिति बनी रहे। इससे आपकी सांसें शान्त और समर्थ होती हैं और योगासन का पूरा लाभ होता है।
  • दृष्टि को स्थिर रखें: योग में दृष्टि को स्थिर रखना महत्वपूर्ण है। गरुड़ आसन को करते समय, आपकी दृष्टि एक निश्चित स्थान पर टिकी रहनी चाहिए, जिससे मानसिक समर्पण बना रहे।
  • ध्यानपूर्वक श्वास लें: योगासन के दौरान ध्यानपूर्वक और धीरे-धीरे श्वास लेना अत्यंत महत्वपूर्ण है। सांसें सामंजस्यपूर्ण और गहरी होनी चाहिए, जिससे आप योगासन को सही तरीके से कर सकें।
  • योग से पहले व्यायाम करें: गरुड़ आसन को करने से पहले, कम से कम 5-10 मिनट का व्यायाम करें ताकि आपके शरीर की मांसपेशियां थोड़ी गरम हों और योगासन को सही तरीके से करने में मदद मिले।

गरुड़ आसन एक शानदार योगासन है जो स्तंभित कंधों की समस्याओं को दूर करने के लिए सहारा प्रदान कर सकता है। इसे नियमित रूप से करके आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं।


भुजंगासन (Bhujangasana) - साँप के रूप में शिशुदेह:


आसन का नाम: भुजंगासन को देखकर यह आसान एक साँप के रूप में शिशुदेह को याद दिलाता है, जिसे हिंदी में "भुजंग" या साँप कहा जाता है।


कैसे करें: 
  • पहले पेट के बल सो लें।
  • हाथों को कंधों के नीचे रखें और अपने हाथों को छोटे सा स्थान पर रखें।
  • संस्कृत में इसे "भुजंग" कहा जाता है, जिसका अर्थ होता है "साँप"।
  • फिर, साँप की तरह, आपको अपने ऊपर उठना है, चेहरा ऊपर की ओर करना है और अपनी कंधाएं तन करनी हैं।
  • उच्चतम स्थिति में, आपको हड्डीयों को मोड़कर बाएं और दाएं हथेलियों के साथ मिलाना होता है।
  • साँसें बाहर निकालते हुए श्वास को धीरे से छोड़ें।

लाभ:
  • कंधों और पीठ की स्त्रेचिंग: यह आसन कंधों, पीठ की मांसपेशियों को स्त्रेच करता है और इसे मजबूती प्रदान करने में मदद कर सकता है।
  • पेट की मांसपेशियों को स्त्रेच: भुजंगासन पेट की मांसपेशियों को स्त्रेच करने में भी मदद करता है, जिससे पाचन सिस्टम को बेहतर बनाए रख सकता है।
  • बैक पेन की राहत: इस आसन से कमर की मांसपेशियों को मिलता है, जो कीमती है जब हम लंबे समय तक बैठे रहते हैं।
  • चैक्स और फंगशन की सुधार: भुजंगासन को नियमित रूप से करने से चैक्स (lungs) और फंगशन (pancreas) की स्वस्थता में सुधार हो सकता है।

सावधानियाँ:
  • इसे करते समय नीचे की ओर दर्द हो सकता है, इसलिए धीरे-धीरे आसन करें और अगर कोई दिक्कत हो तो तुरंत बंद करें।
  • गर्भवती महिलाएं और लोग जो पीठ की समस्या से पीड़ित हैं, उन्हें इसे करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

भुजंगासन एक पूर्ण रूप से लाभकारी योगासन है जो शारीरिक स्वास्थ्य को सुधारने में मदद कर सकता है। इसे नियमित रूप से करके आप अपने शरीर की लुच्चता को कम कर, और कंधों, पीठ, और पेट की स्त्रेचिंग कर सकते हैं।


बालासन (Balasana) - बच्चे की पोज:


आसन का नाम: बालासन को हिंदी में "बच्चे की पोज" कहा जाता है, क्योंकि यह आसन बच्चों की तरह आराम से बैठने की भावना को याद दिलाता है।


कैसे करें: 
  • आसन को करने के लिए, सबसे पहले आपको पीठीय स्थिति में बैठना है।
  • अब, आपको घुटनों को फैलाकर पैरों को पीछे ले जाना है और जमीन पर सीधे लेट जाना है।
  • हथेलियां आगे बढ़ाकर जमीन पर रखें और शीशा ज़मीन पर लेटाएं।
  • घुटने और पैरों को ज़मीन पर सीधा रखें और धीरे-धीरे श्वास छोड़ें।
  • इस आसन को करते समय आपको ध्यान अपनी सांसों पर रखना चाहिए और धीरे-धीरे शरीर को धीरे से छोड़ना चाहिए।

लाभ:
  • शारीरिक आराम: बालासन को करने से शरीर को आराम मिलता है, खासकर पीठ, कंधे, और घुटनों को।
  • श्वास की नियंत्रितता: इस आसन के दौरान नियमित श्वास करना श्वास की नियंत्रितता में मदद कर सकता है और ध्यान में स्थिरता ला सकता है।
  • मानसिक शांति: बालासन आत्मा को शांति और विश्राम की भावना देने में मदद कर सकता है, जिससे मानसिक स्वास्थ्य में सुधार हो सकता है।
  • पृथ्वी तत्त्व की स्थिति: यह आसन आपको पृथ्वी तत्त्व की भावना को बढ़ावा देता है, जिससे आपका शारीरिक और मानसिक संतुलन बना रहता है।

सावधानियाँ:
  • यदि किसी को घुटने या पीठ से संबंधित समस्याएं हैं, तो उन्हें इस आसन को करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।
  • गर्भवती महिलाओं को भी इस आसन को करने से पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

बालासन एक सरल और शांतिपूर्ण आसन है जो शरीर को विश्राम देने के लिए उपयुक्त है। इसे नियमित रूप से करके आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य में सुधार कर सकते हैं।


वीरभद्रासन (Virabhadrasana) - वॉरियर पोज:

आसन का नाम: इस आसन का नाम वीरभद्रासन है, जिसे वीरभद्र नामक एक प्रख्यात योद्धा के नाम पर रखा गया है।


कैसे करें:
  • इस आसन को करने के लिए, सबसे पहले खड़े हो जाएं और पैरों को हैप्थ की चौड़ाई में रखें।
  • अब, एक पैर को आगे बढ़ाएं और घुटना बनाएं ताकि वह बाएं पैर के समीप हो।
  • दाएं पैर को पीछे बढ़ाएं और घुटना बनाएं ताकि वह दाएं पैर के समीप हो।
  • आपके हाथों को सिर के ऊपर उठाएं और उन्हें जोड़कर आसन बनाएं।
  • सीधे होकर दृष्टि को आगे की ओर रखें और समझें कि आप एक योद्धा की तरह खड़े हैं।

लाभ:
  • स्थायिता और स्थिति की शक्ति: यह आसन स्थायिता और स्थिति को बढ़ावा देता है, जिससे शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार होता है।
  • पैरों, कंधों, और कमर की स्थिति में सुधार: वीरभद्रासन से पैरों, कंधों, और कमर की मांसपेशियों को स्थिति में सुधार होता है और इससे इन्हें मजबूती मिलती है।
  • श्वास की समर्थन स्थिति: आसन को करते समय नियमित श्वास लेना श्वास संयंत्र को समर्थन करने में मदद कर सकता है, जिससे शरीर की ऊर्जा को बढ़ावा मिलता है।
  • ध्यान और मानसिक स्थिति में सुधार: वीरभद्रासन ध्यान को स्थिर रखने में मदद करता है और मानसिक स्थिति में सुधार करने में भी साहायक हो सकता है।

वीरभद्रासन (Virabhadrasana) - वॉरियर पोज:
  • स्थैर्य और समर्थन की भावना: यह आसन स्थैर्य और समर्थन की भावना पैदा करता है, जो जीवन के विभिन्न क्षेत्रों में सफलता के लिए महत्वपूर्ण है।
  • मांसपेशियों का विकास: वीरभद्रासन करने से, पूरे शरीर की मांसपेशियों को विकसित करने में मदद होती है, विशेषकर पैरों, कंधों, और पेट क्षेत्र में।
  • कंधों की स्थिति में सुधार: इस आसन से कंधों की स्थिति में सुधार होता है, जो बैठकर काम करने वालों के लिए आरामदायक है।
  • विकसित सांस तंतुता: वीरभद्रासन के दौरान नियमित और गहरी सांस लेने से सांस तंतुता में सुधार हो सकता है, जो शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को बढ़ावा देता है।
  • आत्म-समर्पण: वीरभद्रासन व्यक्ति को आत्म-समर्पण और समर्थन की भावना देता है, जिससे उसे अपने लक्ष्यों की प्राप्ति में मदद मिलती है।
  • ध्यान की स्थिति में सुधार: आसन को सही से करने के लिए ध्यान को स्थिर रखना होता है, जिससे जीवन के किसी भी क्षेत्र में ध्यान में स्थिरता बनी रहती है।
  • स्वतंत्रता की भावना: वीरभद्रासन करते समय, योगी को अपनी शक्तियों को पहचानने और उन्हें सही दिशा में ले जाने की भावना होती है, जिससे उसमें स्वतंत्रता की भावना आती है।

सावधानियाँ:
  • इस आसन को करते समय किसी भी प्रकार की दर्द या अस्वस्थता की स्थिति में इसे छोड़ देना चाहिए।
  • सामान्य स्वास्थ्य समस्याएं जैसे कि ब्लड प्रेशर या कंधों की समस्याएं होने पर पहले डॉक्टर से परामर्श करना चाहिए।

वीरभद्रासन एक शक्तिशाली और ऊर्जावान आसन है जो शारीरिक और मानसिक स्थिति में सुधार करने में मदद करता है। इसे नियमित रूप से करके आप अपने शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को सुधार सकते हैं और अपनी ऊर्जा को बढ़ा सकते हैं।

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