पोंगल: सूरज, खुशियों और फसल का त्योहार | Pongal: Festival Of Sun, Happiness And Harvest

पोंगल सूरज, खुशियों और फसल का त्योहार  Pongal Festival Of Sun, Happiness And Harvest


दक्षिण भारत की धरती पर मकर संक्रांति के पावन पर्व के साथ ही मनाया जाता है एक ऐसा अनूठा त्योहार, जिसकी खुशबू खेतों की मिट्टी से उठती है और आवाज गायों के मोओं से निकलती है. जी हाँ, हम बात कर रहे हैं पोंगल की. तमिलनाडु के कोने-कोने से लेकर श्रीलंका और अन्य देशों में रहने वाले तमिल समुदाय तक, पोंगल चार दिवसीय उत्सव है जो फसल के मौसम का जश्न मनाता है, सूर्य का आभार व्यक्त करता है और आने वाले साल के लिए समृद्धि और खुशियों का आह्वान करता है.


चार दिन का उत्सव, चार तरह की खुशियां:

पोंगल कोई एक दिन का त्योहार नहीं, बल्कि यह चार दिनों तक चलने वाला समारोह है. हर दिन का अपना अलग महत्व और रीति-रिवाज होते हैं:

1. भोगी पोंगल: इस दिन घर की साफ-सफाई होती है और पुराने सामान को जलाकर बुराइयों को त्यागने का संदेश दिया जाता है. युवा लोग भोगी कोट्टम बजाते हैं जो भैंस के सींग से बना एक पारंपरिक वाद्य यंत्र है. शाम को स्वादिष्ट वेपन्डू-कोलम (मीठे चावल का व्यंजन) बनाया जाता है.

2. सूर्य पोंगल: सूर्य देवता के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन होता है. घरों को रंगोली से सजाया जाता है, नए कपड़े पहने जाते हैं और विशेष पूजा-अर्चना की जाती है. इस दिन बनाए जाने वाले वेल्लार पोंगल (नमकीन चावल का व्यंजन) का खास महत्व होता है.

3. माट्टू पोंगल: पशुओं के प्रति कृतज्ञता व्यक्त करने का दिन. गायों और बैलों को स्नान कराया जाता है, उनके सींग सजाए जाते हैं और उनकी पूजा की जाती है. कानाई पोंगल (मीठे खिचड़ी का व्यंजन) इस दिन का खास पकवान होता है.

4. कानुम पोंगल: परिवार और दोस्तों के साथ मिलकर खुशियां मनाने का दिन. लोग पिकनिक मनाते हैं, गायों की दौड़ का आनंद लेते हैं और एक-दूसरे को शुभकामनाएं देते हैं.


पोंगल की परंपराएं:

पोंगल के दौरान कई परंपराएं निभाई जाती हैं, जो इस त्योहार को और भी खास बनाती हैं:

कोलम: रंगोली का तमिल नाम है. घर के प्रवेश द्वार पर रंगबिरंगी कोलम बनाई जाती है, जो घर में सुख-समृद्धि लाने का विश्वास किया जाता है.

जल्लीकट्टू: तमिलनाडु के कुछ हिस्सों में मनाया जाने वाला एक रोमांचक खेल, जिसमें सांडों को पकड़ने की कोशिश की जाती है. हालांकि, पशु क्रूरता से बचने के लिए इस पर अब सख्त नियम हैं.

पोर्कलम: गन्ने के टुकड़ों और फूलों से बना सुंदर गहना, जो महिलाएं इस मौके पर पहनती हैं.


पोंगल से जुड़ी मान्यताएं:

पोंगल दक्षिण भारत का एक प्रमुख त्योहार है, जो मुख्य रूप से तमिलनाडु, आंध्र प्रदेश, कर्नाटक और केरल में मनाया जाता है. यह त्योहार चार दिनों तक चलता है और 15 जनवरी से 18 जनवरी तक मनाया जाता है.

पोंगल से जुड़ी कई मान्यताएं हैं. इनमें से कुछ मान्यताएं इस प्रकार हैं:

  1. पोंगल को नए साल का स्वागत करने का त्योहार माना जाता है. तमिल कैलेंडर के अनुसार, पोंगल का दिन नए साल की शुरुआत का प्रतीक है. इस दिन लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों को साफ-सफाई करते हैं और रंगोली बनाते हैं.
  2. पोंगल को कृषि से जुड़ा त्योहार माना जाता है. इस दिन किसान धान की फसल काटने के बाद खुशियां मनाते हैं. वे सूर्य, वर्षा और पृथ्वी को धन्यवाद देते हैं, जो उन्हें फसल उगाने में मदद करते हैं. 
  3. पोंगल को पशुओं से जुड़ा त्योहार माना जाता है. तमिल संस्कृति में पशुओं को पवित्र माना जाता है. इस दिन लोग अपने बैलों और गायों की पूजा करते हैं और उन्हें मीठा भोजन खिलाते हैं.
  4. पोंगल को परिवार और दोस्तों के साथ मिलन का त्योहार माना जाता है. इस दिन लोग एक-दूसरे के घर जाते हैं, शुभकामनाएं देते हैं और मिठाइयां बांटते हैं.

पोंगल एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को एक साथ लाता है और उन्हें खुशी और उत्साह का एहसास कराता है. यह त्योहार हमें प्रकृति, कृषि और परिवार के महत्व की याद दिलाता है.

पोंगल से जुड़ी कुछ अन्य मान्यताएं भी हैं, जो अलग-अलग क्षेत्रों में भिन्न होती हैं. उदाहरण के लिए, कुछ क्षेत्रों में माना जाता है कि पोंगल के दिन सूर्य की किरणें अमृत के समान होती हैं और इन किरणों को शरीर पर पड़ने से स्वास्थ्य और समृद्धि मिलती है.


भोगी पोंगल: बुराइयों का त्योहार नहीं, नए शुरुआत का जश्न

पोंगल के चार दिवसीय उत्सव का पहला दिन भोगी पोंगल न सिर्फ सफाई-सुथराई का उत्सव है, बल्कि यह एक गहरे अर्थ वाला अनुष्ठान है. यह दिन अतीत के बोझ को त्याग कर, नवीनता और समृद्धि के साथ नए साल में प्रवेश करने का प्रतीक है. चलिए, भोगी पोंगल की रीतियों और उनके पीछे छिपे संदेशों को और करीब से देखें:

बुराइयों का नाश: भोगी पोंगल की सुबह घर की साफ-सफाई होती है. पुराने और बेकार के सामान को इकट्ठा कर एक ढेर बनाया जाता है, जिसे शाम के समय आग लगाई जाती है. यह अग्नि इस दिन का केंद्रबिंदु होती है, जो अज्ञान, नकारात्मकता और बुरे विचारों को भस्म करने का प्रतीक है. हम पुराने कपड़े, टूटे फूटे बर्तन, टाटे-फटे कागज आदि को जलाकर अतीत के बोझ को हल्का करते हैं और नए साल का स्वागत करने के लिए जगह बनाते हैं.

भोगी कोट्टम: खुशियों की ताल: भोगी पोंगल की शाम युवाओं का जोश खूब खिलता है. वे हाथों में भैंस के सींग से बना पारंपरिक वाद्य यंत्र भोगी कोट्टम लेकर ढोल की थाप पर थिरकते हैं. उनके उत्साह से पूरा वातावरण गुंजायमान हो जाता है. भोगी कोट्टम की आवाज अंधकार को भगाकर रोशनी और खुशियों का संदेश फैलाती है.

वेपन्डू-कोलम: मिठास का आशीर्वाद: भोगी पोंगल की रस्मों के बाद शाम को घर में खास पकवान वेपन्डू-कोलम बनाया जाता है. चावल, गुड़, नारियल और हल्दी से बना यह मीठा व्यंजन आने वाले साल में मिठास, खुशहाली और समृद्धि का आशीर्वाद देता है. वेपन्डू-कोलम का भोग देवताओं को लगाया जाता है और फिर सब मिलकर इसका आनंद लेते हैं.

नए साल का स्वागत: भोगी पोंगल की रात पूरी तरह से अंधकार को पीछे छोड़कर नवीनता का स्वागत करने के लिए होती है. लोग घरों के बाहर लालटेन जलाते हैं, दरवाजे पर आम के पत्ते लगाते हैं और प्रार्थना करते हैं कि आने वाला साल उज्ज्वल और सुखदायी हो. इस तरह, भोगी पोंगल अतीत की विदाई और भविष्य के स्वागत का अद्भुत संतुलन बनाता है.

एकता और सहभागिता: भोगी पोंगल का उत्सव सिर्फ घर के अंदर नहीं, बल्कि पूरे समुदाय को जोड़ता है. लोग मिलकर सफाई करते हैं, भोगी कोट्टम बजाते हैं और गीत गाते हैं. यह सामूहिक अनुष्ठान सामाजिक एकता और सहभागिता को मजबूत करता है.

तो, भोगी पोंगल सिर्फ सफाई का दिन नहीं, बल्कि खुद को और समाज को बदलने का अवसर है. यह त्योहार हमें अतीत के बोझ से मुक्त होकर, नवीनता का स्वागत करते हुए, प्रेम और खुशियों से अपना जीवन सजाने की सीख देता है.


सूर्य पोंगल: आभार का सूर्योदय, समृद्धि का प्रकाश

पोंगल के चार दिवसीय उत्सव का दूसरा दिन, सूर्य पोंगल, सिर्फ एक त्योहार नहीं, बल्कि सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता का अनूठा नृत्य है. अलसुबह के पहले किरणों के साथ जगता तमिलनाडु, इस दिन सूर्य की पूजा, घरों का सौंदर्यीकरण और स्वादिष्ट वेल्लार पोंगल के साथ जीवनदायी देवता का आभार व्यक्त करता है. आइए, सूर्य पोंगल की रीतियों और उनके पीछे छिपे सूर्य के प्रकाश से सराबोर हो लें:

सूर्यदेव की आराधना: सूर्य पोंगल की सुबह सूर्योदय से पहले ही घरों में हलचल शुरू हो जाती है. लोग स्नान करके नए वस्त्र धारण करते हैं और पूजा की तैयारी में जुट जाते हैं. छत पर कोलम बनाई जाती है, जिसमें सूर्य और अन्य देवताओं को दर्शाया जाता है. परिवार के सभी सदस्य एकत्रित होकर पूजा करते हैं, फूल, फल और घी का अर्पण करते हैं. सूर्य पोंगल का यह हृदय, सूर्यदेव के प्रकाश और ऊर्जा के लिए कृतज्ञता का गीत है.

घर का सौंदर्यीकरण: सूर्य पोंगल के दिन घरों को रंग-बिरंगे फूलों, आम के पत्तों और सुंदर कोलम से सजाया जाता है. ये सजावट न सिर्फ घर को सुंदर बनाती हैं, बल्कि सूर्य के प्रकाश को बिखेरकर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करती हैं. घर के प्रवेश द्वार पर आम के पत्ते लगाए जाते हैं, जो पवित्रता और स्वागत का प्रतीक हैं. इस तरह, पूरे वातावरण को सूर्य के उज्ज्वल स्वागत के लिए तैयार किया जाता है.

वेल्लार पोंगल का प्रसाद: सूर्य पोंगल की परंपरा का दिल है वेल्लार पोंगल, यानी नमकीन चावल का पकवान. चावल, हल्दी, मूंग दाल और खस के साथ बनाया गया यह व्यंजन सूर्य की गर्मी और उर्वरता का प्रतिनिधित्व करता है. वेल्लार पोंगल को मिट्टी के बर्तन में बनाया जाता है, जो प्रकृति से जुड़ाव का प्रतीक है. इस पवित्र प्रसाद को सूर्यदेव को अर्पित किया जाता है और फिर सब मिलकर इसका आनंद लेते हैं.

खुशियों का संचार: सूर्य पोंगल सिर्फ पूजा-पाठ तक सीमित नहीं है. इस दिन लोग अपने रिश्तेदारों और पड़ोसियों से मिलते हैं, शुभकामनाएं देते हैं और मिठाई बांटते हैं. गीत-संगीत और नृत्य का आनंद लिया जाता है. सूर्य के प्रकाश की तरह ही, खुशियों को भी चारों ओर फैलाया जाता है.

जीवन के अंकुर का उत्सव: सूर्य पोंगल का महत्व सिर्फ धार्मिक अनुष्ठान में ही नहीं, बल्कि जीवन के दर्शन में भी छिपा है. सूर्य की किरणें फसलों को जीवन देती हैं, उसी तरह सूर्य पोंगल का प्रकाश हमारे जीवन में आशा, उत्साह और समृद्धि के अंकुरों को जगाता है. यह दिन हमें अंधकार को दूर करने, नई शुरुआत करने और सूर्य के समान ह्रदय से प्रकाश फैलाने की प्रेरणा देता है.

इस तरह, सूर्य पोंगल सूर्यदेव के प्रति कृतज्ञता का ही नहीं, बल्कि जीवन के लिए आशा और प्रकाश का उत्सव भी है. आइए, हम सब मिलकर सूर्य पोंगल की परंपराओं को निभाएं और अपने जीवन में भी सूर्य की तरह जगमगाएं.


माट्टू पोंगल: पशुओं का सम्मान, कृतज्ञता का गीत

पोंगल के चार दिवसीय उत्सव का तीसरा दिन, माट्टू पोंगल, एक ऐसा अनूठा त्योहार है, जो मनुष्य और पशुओं के अनन्य बंधन का जश्न मनाता है. इस दिन गायों और बैलों के प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है, उनके स्वास्थ्य और समृद्धि का आशीर्वाद लिया जाता है. माट्टू पोंगल की रीतियों और उनके पीछे छिपे संदेशों में गहरा आध्यात्मिक और सांस्कृतिक महत्व छिपा होता है. आइए, इस अनुपम त्योहार की खुशबू में खो जाएं:

पशुओं की पूजा: माट्टू पोंगल की सुबह गायों और बैलों को स्नान कराकर सजाया जाता है. उनके सींगों पर रंग लगाए जाते हैं, गले में हार पहनाए जाते हैं और माथे पर तिलक लगाया जाता है. यह दिन पशुओं की पवित्रता और उनके जीवन के प्रति सम्मान का प्रतीक है. कई घरों में गायों को हल्दी से रंगे पानी से स्नान कराया जाता है, जो शुद्धता और आशीर्वाद का प्रतीक माना जाता है.

कानाई पोंगडी का पवित्र भोग: इस दिन का खास पकवान है कानाई पोंगडी, यानी मीठे खिचड़ी का व्यंजन. चावल, मूंग दाल, गुड़ और नारियल से बना यह प्रसाद गायों और बैलों को चढ़ाया जाता है. मीठास पशुओं के जीवन में खुशहाली और समृद्धि का संदेश देता है. इस पवित्र भोग को बनाने में परिवार के सभी सदस्य भाग लेते हैं, जो मिलकर खुशियां मनाने का अवसर भी होता है.

कृषि परंपरा का सम्मान: माट्टू पोंगल सिर्फ पशुओं की पूजा तक सीमित नहीं है. यह त्योहार कृषि परंपरा के प्रति सम्मान का प्रतीक भी है. बैलों, जो सदियों से खेती-बाड़ी में किसानों के सहयोगी रहे हैं, उनके प्रति कृतज्ञता व्यक्त की जाती है. इस दिन कई जगहों पर बैलों की दौड़ का आयोजन भी किया जाता है, जो न सिर्फ मनोरंजन का साधन है, बल्कि पशुओं के शारीरिक बल और महत्व को भी दर्शाता है.

पारिवारिक सम्मेलन और सामुदायिक भाव: माट्टू पोंगल के दिन रिश्तेदार और पड़ोसी एक-दूसरे के घर मिलते हैं, शुभकामनाएं देते हैं और पशुओं के स्वास्थ्य के लिए प्रार्थना करते हैं. बच्चे पशुओं के साथ खेलते हैं और उनके बारे में कहानियां सुनते हैं. यह दिन पारिवारिक बंधन मजबूत करने और सामुदायिक भावना को जगाने का अवसर भी प्रदान करता है.

प्रकृति के साथ सहअस्तित्व का संदेश: माट्टू पोंगल का सबसे बड़ा संदेश है प्रकृति के साथ सहअस्तित्व का. यह त्योहार हमें याद दिलाता है कि हमारा जीवन पशुओं से जुड़ा हुआ है और उनके प्रति सम्मान रखना हमारा कर्तव्य है. पशुओं के अच्छे स्वास्थ्य से ही सुख-समृद्धि आती है. इस तरह, माट्टू पोंगल हमें पर्यावरण और जीवों के प्रति संवेदनशील रहने की सीख देता है.

तो, माट्टू पोंगल सिर्फ पशुओं की पूजा का त्योहार नहीं, बल्कि कृतज्ञता, परंपरा और प्रकृति के प्रति सम्मान का संदेश है. आइए, हम सब मिलकर इस त्योहार को हर्षोल्लास के साथ मनाएं और पशुओं के प्रति अपने दायित्व को समझें.


कानुम पोंगल: मिलन, आशीर्वाद और मिठास का उत्सव

पोंगल के चार दिवसीय पर्व का समापन होता है चौथे दिन मनाए जाने वाले "कानुम पोंगल" के साथ. कानुम, जिसका अर्थ है देखना या विजिट करना, इस दिन लोग रिश्तेदारों और दोस्तों से मिलने-जुलने और पोंगल की खुशियां बांटने निकल पड़ते हैं. यह दिन आशीर्वाद लेने, मिठाइयों का आनंद लेने और नए साल की शुरुआत को मजबूत करने का खूबसूरत अवसर होता है. आइए, कानुम पोंगल की रंगीन परंपराओं में खो जाएं:

मुलाकातों का सिलसिला: कानुम पोंगल के दिन सुबह से ही घरों में चहल-पहल शुरू हो जाती है. लोग नए कपड़े पहनते हैं, घरों को साफ-सफाई कर रंगोली बनाते हैं. फिर सबसे महत्वपूर्ण काम शुरू होता है - प्रियजनों से मिलने का सिलसिला. बड़े-बुजुर्गों के घर जाकर उनके आशीर्वाद लेना, परिवार के साथ खुशियां बांटना, इस दिन का मुख्य आकर्षण होता है. 

मिठाई की खुशबू: कानुम पोंगल का जश्न अधूरा होता है बिना स्वादिष्ट मिठाइयों के. इस दिन घरों में तरह-तरह की मिठाइयां बनती हैं - पायसम, खीर, लड्डू, अविरल, हर घर से मधुर खुशबू आती है. लोग एक-दूसरे को मिठाइयां खिलाकर पोंगल की शुभकामनाएं देते हैं. 

विशेष भोजन: कानुम पोंगल के भोजन का भी खास महत्व होता है. परिवार के सभी सदस्य एक साथ बैठकर हल्दी के पत्तों पर भोजन करते हैं. इस पत्ते को पवित्रता का प्रतीक माना जाता है. भोजन में पारंपरिक व्यंजन जैसे वेंडा सकानाई, पुली अवरीजल, वदाम कुरुमा शामिल होते हैं. यह सामूहिक भोजन स्नेह और एकता का प्रतीक है. 

खेल और मनोरंजन: कानुम पोंगल के दिन कई जगहों पर पारंपरिक खेलों का आयोजन भी किया जाता है. युवा लड़कियां कोलम या रंगोली प्रतियोगिता में भाग लेती हैं, वहीं बच्चे कबड्डी और हॉकी जैसे खेलों का आनंद लेते हैं. ये खेल न सिर्फ मनोरंजन का साधन हैं, बल्कि पारंपरिक संस्कृति को जीवित रखने में भी मदद करते हैं. 

नए साल की शुभकामनाएं: कानुम पोंगल के दिन लोग एक-दूसरे को नए साल की शुभकामनाएं देते हैं. वे एक-दूसरे के अच्छे स्वास्थ्य, समृद्धि और खुशहाली की कामना करते हैं. इस दिन का संदेश होता है कि जीवन में नए साल का स्वागत खुशियों और सकारात्मकता के साथ करना चाहिए.

कुल मिलाकर, कानुम पोंगल एक ऐसा त्योहार है जो लोगों को जोड़ता है, आशीर्वाद देता है और जीवन में मिठास घोलता है. यह दिन हमें याद दिलाता है कि संबंध ही जीवन का असली खजाना हैं और इन्हें मजबूत करने के लिए समय निकालना जरूरी है. तो, इस पोंगल के मौके पर आप भी अपने प्रियजनों से मिलें, खुशियां बांटें और कानुम पोंगल का जादू महसूस करें.

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