रेनंकुलस फूल: अपने बगीचे में सुंदरता जोड़ें | Ranunculus Flower: Add Beauty to Your Garden

रेनंकुलस एक आकर्षक और गुलाब जैसा दिखने वाला बड़ा ही मनमोहक पुष्प है। यह अपने विभिन्न रंगों के फूलों के लिए जाना जाता है। रेनंकुलस की पंखुड़ियों का विन्यास बिल्कुल गुलाब के फूल की पंखुड़ियों के समान होता है जो इसे गुलाब के फूल जैसा ही दिखाता है। गुलाब के फूल से भिन्न रेनंकुलस की भी अपनी विशिष्टता है, जो इसे आकर्षण का केंद्र बनाती है। गुलाब की खेती के विकल्प के रूप में किसान रेनंकुलस का उत्पादन करके अधिक लाभ कमा सकते हैं। रेनंकुलस के पौधे की ऊंचाई 20 से 40 सेमी तक होती है। इसमें हल्की झाड़ीनुमा वृद्धि होती है। रेनंकुलस में विशेष रूप से कप के आकार के फूल आते हैं। इनकी पंखुड़ियां लाल, गुलाबी, नारंगी, पीले और सफेद रंग तथा गुलाब की तरह प्रतीत होती हैं। ये फूल न केवल देखने में आकर्षक हैं, बल्कि इनमें एक सुगंध भी होती है जो किसी भी बगीचे या फूलों की सजावट को बढ़ाकर उसे आकर्षक बनाती है।


रेनंकुलस फूल: अपने बगीचे में सुंदरता जोड़ें | Ranunculus Flower: Add Beauty to Your Garden


रेनंकुलस एक समशीतोष्ण और भूमध्यसागरीय क्षेत्र का पौधा है। इसे आमतौर पर बटरकप के नाम से भी जाना जाता है और यह रेनंकुलसी परिवार से संबंधित है। रेनंकुलस नाम की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'राणा' और 'अंकुलस' से हुई है, जिसका अर्थ है 'छोटा मेंढक' क्योंकि इसकी प्रकृति दलदली क्षेत्रों में उगने की है। इस जीनस में दुनिया भर में पाई जाने वाली 200 से अधिक प्रजातियां शामिल हैं, लेकिन बागवानी में सबसे लोकप्रिय प्रजाति पर्शियन (फारसी) बटरकप (रेनंकुलस एशियाटिकस) है।

रेनंकुलस को मासूमियत और बचपन का प्रतीक माना जाता है, क्योंकि ये अक्सर बच्चों के साहित्य और जंगली घास के मैदानों में दिखाई देते हैं। ये फूल सरलता, खुशी और प्रसन्नता व्यक्त करते हैं, इसलिए उन्हें उत्सवों जैसे आनंददायक आयोजनों पर उपयोग किया जाता है। इसके अतिरिक्त, कुछ प्रजातियों का उपयोग आयुर्वेदिक औषधि निर्माण में भी किया जाता है।


किस्में: टेकोलोटेस, टेलीकोट रेड, विक्टोरिया, अविव, ब्लूमिंगडेल, कैफे, फ्लेमेंको, मल्रोट और टॉमर।


जलवायु और मृदा: रेनंकुलस के लिए पोषक तत्वों और कार्बनिक पदार्थों से भरपूर बलुई दोमट मिट्टी, मध्यम नम, जिसका पीएच मान 5.8 और 7 के मध्य होता है, उपयुक्त रहती है। रेनंकुलस, लॉन की क्यारियों में तथा सजावट के रूप में उपयोग किए जाने वाले गमलों में भी सफलता से उगाए जा सकते हैं। साथ ही ऐसे स्थान जहां पर आंशिक छाया रहती है वहां इन्हें भी उगाया जा सकता है। रेनंकुलस के लिए 10-24 डिग्री सेल्सियस उपयुक्त तापमान होना चाहिए।


प्रवर्धन: रेनंकुलस का प्रवर्धन या प्रजनन प्रायः बीज या कंदों द्वारा किया जाता है। व्यावसायिक रूप से रेनंकुलस का प्रवर्धन कंद के माध्यम से होता है जो प्रत्येक वर्ष मातृ कंद से पार्श्व रूप से विकसित होती है। शरद ऋतु में, कंद की खुदाई के बाद, ध्यानपूर्वक नए कंदों को हाथ से या तेज चाकू से अलग करना चाहिए। कंदों को 95% नमी के साथ शुष्क, गर्म वातावरण में भविष्य में उपयोग के लिए भंडारण करना चाहिए।

रेनंकुलस के बीज या तो सीधे जमीन में या कंटेनरों में शरद ऋतु या वसंत में बोए जा सकते हैं। अंकुरण के लिए, बीजों को 1 से 2 सप्ताह (स्तरीकरण) के लिए 5-7 डिग्री सेल्सियस (ठंडे उत्तेजन) में रखा जाना चाहिए, फिर उन्हें एक उपयुक्त सब्सट्रेट पर फैलाया जा सकता है। बीज के अंकुरण के लिए कम से कम एक सप्ताह नियमित नमी के साथ 15 डिग्री सेल्सियस तापमान आवश्यक होता है। जब अंकुरों में पत्तियों के चार जोड़े विकसित हो जाते हैं, तत्पश्चात उन्हें बड़े कंटेनरों में या बाहर क्यारियों में रोपित किया जा सकता है।


बुवाई/रोपण का समय: रेनंकुलस एक ठंडे मौसम का फूल है जो बल्ब या कंद से उगाया जाता है। मैदानी क्षेत्रों में शरद ऋतु (सितंबर-अक्टूबर) में लगाया जाता है ताकि सर्दियों के अंत या प्रारंभिक वसंत (दिसंबर या जनवरी) में फूल खिल सकें। पहाड़ी क्षेत्रों में इसे वसंत (फरवरी-मार्च) में लगाएं ताकि गर्मियों के अंत में फूल खिल सकें। अधिक गर्म ग्रीष्मकाल वाले क्षेत्रों में, पौधों को अति तापमान से बचाने के लिए विशेष देखभाल की आवश्यकता होती है।


कंदों का रोपण-पूर्व उपचार: अंकुरण के अच्छे परिणाम प्राप्त करने के लिए, कंदों के रोपण से पहले कमरे के तापमान पर कम से कम 3-4 घंटों के लिए कंदों को पानी में भिगोकर रखना चाहिए। इस क्रिया से कंदों को प्रारंभिक विकास में बहुत मदद मिलती है। जब कंद आकार में दोगुना हो जाते हैं और सफेद बालों जैसी जड़ें अंकुरित हो जाती हैं, इस अवस्था में कंद खेत में लगाने के लिए पूर्ण रूप से तैयार हो जाते हैं।


रोपण के लिए मिट्टी: बगीचे में रोपण के लिए, एक अच्छी प्रकार से तैयार भुरभुरी मिट्टी का चयन करना चाहिए। मिट्टी को 12 इंच की गहराई तक ढीला करके तथा खरपतवारों को नष्ट करके, जल निकासी की उचित व्यवस्था करनी चाहिए। मिट्टी की तैयारी करते समय पोषक तत्व प्रदान करने के लिए 5 किग्रा/वर्ग मीटर की दर से सड़ी हुई गोबर की खाद मिट्टी में अच्छी प्रकार से मिलानी चाहिए।

गमलों में रोपण के लिए, 10-16 सेमी व्यास वाले गमलों का उपयोग किया जा सकता है। गमलों की मिट्टी तैयार करने के लिए रेतीली मिट्टी, पत्तियों की खाद और केंचुआ खाद को समान अनुपात में मिलाकर तैयार करना चाहिए।


रोपण की गहराई और दूरी: कंद या पौधों के रोपण के बीच की दूरी 15-20 सेमी और पंक्तियों के बीच 20 सेमी होनी चाहिए। कंद को 5 सेमी की गहराई पर इस प्रकार लगाना चाहिए कि कंद का नुकीला हिस्सा ऊपर की ओर हो। रोपण के बाद कंदों को 5 सेमी मोटी कंपोस्ट की परत से ढक देना चाहिए।


सिंचाई, खाद और उर्वरक: फूल आने की अवस्था के दौरान, मिट्टी को नम रखें लेकिन जलभराव न करें। अधिक पानी देने और खराब जल निकासी कंद सड़ने का कारण बन सकती है। फूलों और कंदों को सड़ने से बचाने के लिए सोकर नली या ड्रिप सिंचाई का उपयोग करें। जब पत्तियां सुषुप्तावस्था के दौरान सूखने के लिए पीली हो जाएं तो पानी देना बंद कर दें।

रेनंकुलस पौधों को विशेष उर्वरक की आवश्यकता नहीं होती है, पौधे के अच्छी प्रकार स्थापित होने के बाद, सिंचाई के पानी के माध्यम से प्रत्येक 1 से 2 सप्ताह में एक तरल उर्वरक (एन-पी-के-19:19:19) का उपयोग करना चाहिए। पौधों को अधिक उर्वरक देने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे पौधों की वानस्पतिक वृद्धि अधिक होती है तथा फूलों की गुणवत्ता पर प्रभाव पड़ सकता है।


मल्चिंग (पलवार): मल्च का प्रयोग भी किया जा सकता है। यह मिट्टी में नमी बनाए रखने में मदद करती है, जो फूलों के प्रारंभिक वृद्धि के लिए आवश्यक है। इसके अतिरिक्त, जब मौसम गर्म होता है, तो मल्च मिट्टी को ठंडा रखने में भी मदद करती है। इससे पौधे पर फूलों की आयु बढ़ने में मदद मिलती है।


मुरझाए फूलों को हटाना: पौधे पर निरंतर पुष्पण के लिए, नियमित रूप से मुरझाए हुए फूलों को हटाते रहना चाहिए। इस क्रिया को एक निश्चित अंतराल पर करते रहने से फूलों की गुणवत्ता में सुधार होता है तथा किसी भी प्रकार के कीट व्याधियों से रक्षा होती है।


फूलों की कटाई तथा उपज: रेनंकुलस फूलों की कटाई दिन के ठंडे समय में ही करनी चाहिए जब कलियाँ रंगीन और मुलायम, लेकिन पूरी तरह से खुलने की अवस्था में होती हैं। कलियों को हल्के से दबाकर कलियों की जांच करें कि यह हल्का नरम महसूस हो और पिछले तीन दिनों से खुल और बंद हो रही है। रेनंकुलस का एक पौधा लगभग 3-6 तने की उपज देता है।


कटाई उपरांत प्रबंधन: कटाई के समय, रेनंकुलस के तनों को आधार से निकटतम स्तर पर काटा जाता है। इसके पश्चात उन्हें स्वच्छ पानी में रखना चाहिए ताकि उन्हें मुरझाने से रोका जा सके। पौधे के कांटे हुए तनों के निचले भाग को आवश्यकतानुसार छांटने के पश्चात, तने के आधार से अतिरिक्त पत्तियों को अलग करके, उन्हें ताजा पानी में पुष्प परिरक्षक (फ्लोरल प्रिजर्वेटिव) में 12 दिनों तक रखा जा सकता है।

गुणवत्ता बनाए रखने के लिए फूलों के तनों को कोल्ड स्टोरेज में 4 डिग्री सेल्सियस पर पांच दिनों तक रखा जा सकता है। पुष्प बाजार में, लंबाई और रंग के अनुसार छंटाई की जाती है। इसके बाद, 10 फूलों के तने का एक गुच्छा तैयार किया जाता है। पुष्पों को क्षति से बचाने के लिए पारदर्शी छिद्रयुक्त प्लास्टिक या भूरे रंग के पेपर की स्लीव में गुच्छों को लपेटा जाता है।

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